अकसर तेरी राहो से

अकसर तेरी राहो से गुजरने वालो को दीवाना बनते देख चुके हैं… पर बतादे तुम्हें की हम भी एसा हसीन गुन्हा लाखो बार कर चुके हैं…

महोब्बत हो जायेगी

मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना,जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी|

इंसानियत में बसता हूँ

मैं इंसानियत में बसता हूँ….और लोग मुझे मज़हबों में ढूँढते है..!

ख़्वाब हो के रह गई है

ख़्वाब हो के रह गई है रस्म-ऐ-मोहब्बत… इक वहम सा है अब.. मेरे साथ तुम भी थे….

हम तो वाकिफ थे

हम तो वाकिफ थे उनके अंदाज से पर वो बेवफा कब हुए पता ही नही चला|

छोटी सी बात पे

छोटी सी बात पे ख़ुश होना मुझे आता था.. पर बड़ी बात पे चुप रहना तुम्ही से सीखा..

कफन उठाओ ना मेरा

कफन उठाओ ना मेरा जमाना देख ना ले..मै सो गया हूँ तेरी निशानिया लेकर….!!

ये आशकी तुझसे शुरू

ये आशकी तुझसे शुरू तुझपे खत्म ये शायरी तूझसै शुरू तूझपै खत्म तैरै लीए ही सासैं मिली है तेरे लीए ही लीया है जन्म यै जिदंगी तुझसै शूरू तुझपै खत्म |

कल अचानक देखा

कल अचानक देखा तरसी निग़ाहों को किताबे आज भी छाती से लग के सोना चाहती है|

तुम्हे क्या पता

तुम्हे क्या पता, किस दर्द मे हूँ मैं.. जो लिया नही, उस कर्ज मे हूँ मैं..

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