सामने आये मेरे

सामने आये मेरे,देखा मुझे,बात भी की मुस्कराए भी,पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर कल का अख़बार था,बस देख लिया,रख भी दिया।

कलम रूठ के टूट ही न जाए

कलम रूठ के टूट ही न जाए, आज मुझसे………..!! अपनी बेबसी का जोर, इस्पे निकल रहा हूँ मैं…….!!

एक जीत है तू

एक जीत है तू… एक हार हूँ मैं बिना तेरे किसी कहानी का अधूरा किरदार हूँ मैं ।

घर-बार बांटने की बातें

घर-बार बांटने की बातें सुन , कितना लड़खड़ाया वो इंसान । अखबार तक जो पुराने संभाल कर रखता है ।

कुछ ख़तरा नहीं है !

यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है.. चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!

वाह मेरे महबूब

वाह मेरे महबूब बड़ी जल्दी ख्याल आया मेरा.. बस भी करो चूमना.. अब उठने भी दो जनाज़ा मेरा..

एक जैसी ही

एक जैसी ही दिखती थी.. माचिस की वो तीलियाँ.. कुछ ने दिये जलाये.. और कुछ ने घर..!

जिस्म का दिल से

जिस्म का दिल से अगर वास्ता नहीं होता ! क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता

तेरी गली का सफर

तेरी गली का सफर आज भी याद है मुझे…!! मैं कोई वैज्ञानिक नही था, पर मेरी “खोज” लाजवाब थी…!!

कहीं कहीं कोई

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है|

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