कुछ खटकता तो है पहलू में मेरे रह रह कर, अब ख़ुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा।
Category: शर्म शायरी
दिल झुकाना पड़ता है
सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती, दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए..
दिल थक जाता है
एक सफ़र ऐसा भी होता है जिसमें पैर नही दिल थक जाता है…!
हजारो ने दिल हारे
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर, कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती
साँसों के ठहर
दिल की खामोशी से साँसों के ठहर जाने तक ! याद आयेगा मुझे वो शख़्स मर जाने तक !!
कुछ लोग फिर
फिर कोई जख्म मिलेगा तैयार रह, ऐ दिल…, ..कुछ लोग फिर पेश आ रहे हैं बहुत प्यार से…
ख़ुद टूट जाते हैं
मुझे इसलिए भी पसंद हैं मासूम लोग, ख़ुद टूट जाते हैं पर दूसरों का दिल नहीं तोड़ते
ज़हर का सवाल
ज़हर का सवाल नहीं था वो तो में पी गया तकलीफ़ लोगों को ये थी की में जी गया ।
बन्दा तू ठीक
मेरे साथ बैठ कर वक़्त भी रोया आज…. . . . . बोला, बन्दा तू ठीक है; मैं ही ख़राब चल रहा हूँ….
इश्क आँखों से
गलत सुना था कि,इश्क आँखों से होता है…. दिल तो वो भी ले जाते है,जो पलकें तक नही उठाते !!