पलकों से पानी गिरा है

पलकों से पानी गिरा है, तो उसे गिरने दो, सीने में कोई पुरानी तमन्ना, पिघल रही होगी….

बीती जो खुद पर

बीती जो खुद पर तो कुछ न आया समझ, मशवरे यूँ तो हम औरों को दिया करते थे|

हर किसी को

हर किसी को मैं खुश रख सकूं, वो सलीका मुझे नहीं आता जो मैं नहीं हूँ, वो दिखने का तरीका मुझे नहीं आता |

मुश्किल भी तुम हो

मुश्किल भी तुम हो, हल भी तुम हो, होती है जो सीने में , वो हलचल भी तुम हो ..!!

मुसीबतों से निखरती है

मुसीबतों से निखरती है शख्सियत यारों, जो चट्टानों से न उलझे वो झरना कैसा !!

क्यों हम भरोसा करें

क्यों हम भरोसा करें गैरों पर, जबकि हमें चलना है अपने ही पैरों पर|

आइना भी भला

आइना भी भला कब किसी को सच बता पाया है, जब भी देखो दायाँ तो बायां ही नज़र आया है|

उसको बेवफा कहकर

उसको बेवफा कहकर अपनी ही नजर में गिर जाते है हम, वो प्यार भी अपना था और वो पसंद भी अपनी थी |

नजरों में समेट लूँ

दिलकश नजारों को नजरों में समेट लूँ, चाँदनी के नूर में इस रूह को लपेट लूँ|

शराफ़त आज भी है

किसी और के दीदार के लिए उठती नहीं ये आँखे, बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफ़त आज भी है|

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