क्यों बनाते हो गजल

क्यों बनाते हो गजल मेरे अहसासों की मुझे आज भी जरुरत है तेरी सांसो की

अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ

अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ… . कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!

कुछ अपनी सुनाता हूँ

अब ये न पूछना कि ये अल्फ़ाज़ कहाँ से लाता हूँ… कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के कुछ अपनी सुनाता हूँ..!!

जुड़ना सरल है

जुड़ना सरल है… पर जुड़े रहना कठिन….

आज इत्ती ज़ोर से

आज इत्ती ज़ोर से हिचकी आ रही है, जैसे कोई जान से मारने के लिए याद कर रहा हो..

अनजाने शहर में

अनजाने शहर में अपने मिलते है कहाँ डाली से गिरकर फूल फिर खिलते है कहाँ . . . आसमान को छूने को रोज जो निकला करे पिँजरे में कैद पंछी फिर उड़ते है कहाँ . . . दर्द मिलता है अक्सर अपनो से बिछड़कर टूट कर आईने भला फिर जुड़ते है कहाँ . . .… Continue reading अनजाने शहर में

आदत पड गयी है

आदत पड गयी है सभी को प्यार अब हर किसी को कहां होता है ??

अगर कसमें सच्ची होती

अगर कसमें सच्ची होती, तो सबसे पहले खुदा मरता..

प्यार कमजोर दिल से

प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता! ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता! दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की! उस के बिना जिया नहीं जा सकता!

बेनाम आरजू की वजह

बेनाम आरजू की वजह ना पूछिये, कोई अजनबी था, रूह का दर्द बन गया…!

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