अब के गुफ्तगू

ये खामोशी जो अब के गुफ्तगू के बीच ठहरी है, यही इक बात सारी गुफ्तगू में सबसे गहरी है|

हाथ थाम के चल दिए!!

जला कर हाथ पर दीप ,ख़ैर मांगते रहे उनके लिए… वो उठे और किसी ग़ैर का हाथ थाम के चल दिए!!

धोखा न खाइये जनाब

खूबसूरती से धोखा न खाइये जनाब, तलवार कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो, मांगती तो खून ही है!!!

सिर्फ महसूस किये जाते हैं

सिर्फ महसूस किये जाते हैं .. कुछ एहसास कभी लिखे नहीं जाते…

कमाल करती है…

जीने वालों के कैसे कैसे हाल करती है….. ये ज़िन्दगी भी… कमाल करती है…

जब रोना आये तो

जब रोना आये तो फ़ूट के रो लो, और प्यार आये…तो गले लगा लो, प्यार मे बस यही दो सच है|

जिन्हें महसूस इंसानों के

जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो गम नही होते वो इंसा हरगिज़ पत्थरों से कम नही होते|

मिलन के अपनी आँखों में

मिलन के अपनी आँखों में अगर इम्कान महकेंगे। धड़कते दिल में पंकज फिर कई अरमान महकेंगे। मेरी साँसों में घुल जाये तुम्हारी सांस गर आकर। तो साँसों में मुहब्बत के कई तूफ़ान महकेंगे।

हाथ बेशक छूट गया

हाथ बेशक छूट गया,लेकिन वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया…

अब कहां दुआओं

अब कहां दुआओं में वो बरक्कतें,… वो नसीहतें … वो हिदायतें, अब तो बस … जरूरतों का जुलुस हैं … मतलबों के सलाम हैं

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