नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से

“नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से ही चलना ज़रा कभी कड़ी धूप में तुमने इनसे ही पनाह माँगी थी।”

मैं थक गया था …

मैं थक गया था … परवाह करते करते, जब से ला-परवाह हुआ हूँ आराम सा है..!!!

शक तो था मोहब्बत में

शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा ।। .. पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था!!

बहुत कुछ खो चूका हूँ

बहुत कुछ खो चूका हूँ, ऐ ज़िन्दगी तुझे सवारने की कोशीश में, अब बस ये जो कुछ लोग मेरे हैं, इन्हें मेरा ही रहने दे….

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं

जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को, वरना कौन अपनी गली मे जीना नहीं चाहता….. हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे, पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ।।

रिश्ता

?” रिश्ता “? कई लोगों से होता है , मगर … कोई प्यार से निभाता है तो … कोई नफरत से निभाता है ..

दर्द

?” दर्द “? सभी इंसानो मे है मगर … कोई दिखाता है तो … कोई छुपाता है …..

हमसफर

?” हमसफर “? सभी है मगर … कोई साथ देता है तो … कोई छोड देता है …..

बेवजह मिलना ए दोस्त

कभी मिल सको तो पंछीयो की तरह बेवजह मिलना ए दोस्त, वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज कितने मिलते है ।

प्यार सभी करते है मगर

?” प्यार “? सभी करते है मगर … कोई दिल से करता है तो … कोई दिमाग सें करता है

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