तीन शब्दों में

तीन शब्दों में मैंने ज़िन्दगी में जो कुछ भी सीखा है उसका सार दे सकता हूँ ज़िन्दगी चलती जाएगी.

वक्त गुजारने के लिए..

झूठी मोहब्बत वफा के वादे साथ निभाने की कस्मे, कितना कुछ करते है लोग सिर्फ वक्त गुजारने के लिए..

पास आकर सभी

पास आकर सभी दूर चले जाते हैं; अकेले थे हम, अकेले ही रह जाते हैं; इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे; मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते हैं!

मेरे चेहरे से मेरा दिल

मेरे चेहरे से मेरा दिल नहीं पढ़ पाओगे तुम मुझे आदत है हर बात पे मुस्कुरा देने की …!!!!

कहाँ मांग ली थी

कहाँ मांग ली थी कायनात मैंने, जो इतना दर्द मिला, ज़िन्दगी में पहली बार खुदा, तुझसे ज़िन्दगी ही तो मांगी थी।।

सिर्फ एक ही तमन्ना

सिर्फ एक ही तमन्ना रखते हैं हम अपने दिल में…..!! मोहब्बत से याद करो.. चाहे मुद्दतो न बात करो…..!!

इंकार को इकरार कहते हैं

इंकार को इकरार कहते हैं, खामोशी को इज़हार कहते है , क्या दस्तूर है इस दुनिया का, एक खूबसूरत सा धोखा है , जिसे लोग ‘प्यार’ कहते हैं |

रूठा रहे मुझसे वो

रूठा रहे मुझसे वो, मंजूर है, लेकिन, उसे समझा दो कि वो मेरा शहर ना छोङे, प्यार तो किस्मत में नहीं है शायद, कम से कम उसका दीदार तो होता रहे।

पहली मुलाकात थी

पहली मुलाकात थी और हम दोनों ही बेबस थे , वो जुल्फें ना संभाल सके और हम खुद को ..

तेरी दोस्ती ने दिया सकूं

तेरी दोस्ती ने दिया सकूं इतना, की तेरे बाद कोई अच्छा न लगे, तुझे करनी है बेवफ़ाई तो इस अदा से कर, कि तेरे बाद कोई भी बेवफ़ा न लगे।

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