ग़म-ए-दुनिया

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें

भटकता फिर रहा है

भटकता फिर रहा है दिल किनारों की तमन्ना में तुम्हारे इश्क़ में डूबे तो बेड़ा पार हो जाये|

आपकी वाह-वाह से हुई ।

मेने जज़्बात अल्फ़ाज़ अहसास सब डाल दिये पर शायरी मुकम्मल आपकी वाह-वाह से हुई ।

कहा लेकर जाऊ तुझे

कहा लेकर जाऊ तुझे……… रात के अँधेरे में ए मेरे गम….?? में तन्हा हूँ मेरे पास ही सोजा…..

सलीका तुमने परदे का

सलीका तुमने परदे का बड़ा अनमोल रख्खा है.. यही निगाहें कातिल हैं इन्ही को खोल रख्खा है..

मैं तुम्हारे हिस्से की

मैं तुम्हारे हिस्से की बेवफाई करूँगा… तुम मेरे हिस्से की शायरी करना…।।

उम्मीदों का घर..!

कच्ची मिट्टी का बना होता है उम्मीदों का घर..!! ढह जाता है हकीकत की बारिश में अक्सर..!

जब दोबारा शुरु होगा

जब दोबारा शुरु होगा तो मोहरे हम वही से उठाएगें जहॉ इस वकत थरे है!

दुनिया पूछती रहती है

यूँ तेरा नाम दुनिया पूछती रहती है मुझ से पर …. लबों पर आज भी तेरे लबों का हुक्म बैठा है…!

फ़क़त बातें अंधेरों की

फ़क़त बातें अंधेरों की , महज़ किस्से उजालों के.. चिराग़-ए-आरज़ू ले कर , ना तुम निकले ना हम निकले..

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