सब जानते हैं

सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता मैं भी पी लेता अगर तु शराब होती..!!

तेरे खुश होने के अंदाज

तेरे खुश होने के अंदाज से लगता है…कुछ टुटा है बड़ी खामोशी से तेरे अन्दर|

लहज़े में बदजुबानी

लहज़े में बदजुबानी ,चेहरे पे नकाब लिए फिरते है जिनके खुद के बहीखाते बिगड़े है ,वो मेरा हिसाब लिए फिरते है ।

तारीफ़ अपने आप की

तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है… ख़ुशबू तो ख़ुद बताएगी, कौन सा फ़ूल है…

थोड़ा जमीर गिरा है

ना हुस्न ढला है ना इश्क़ बिका है लोगो का बस थोड़ा जमीर गिरा है|

किसी के होठों पे

किसी के होठों पे रूकी हुई बात बन कर, रात ठहरी हो जैसे|

थोड़ी सी खुद्दारी

थोड़ी सी खुद्दारी भी लाज़मी थी… उसने हाथ छुड़ाया,मैंने छोड़ दिया…

हाथ बेशक छूट गया

हाथ बेशक छूट गया, लेकिन वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया..

ये शाम कबसे बेकरार है

ये शाम कबसे बेकरार है ढलने को. तू इक दफे आँचल में अपने मुझे संभालने की ख्वाहिश तो कर|

मैं वो बात हूँ

मैं वो बात हूँ, जो बनी नहीं.. मैं वो रात हूँ,जो कटी नहीं !!

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