हम भी ख़ामोश रहे

हम भी ख़ामोश रहे तुमने भी लब सी डाले दोनो चुप चाप सुलगते रहे तनहाँ तनहाँ

मोहब्बत की तपिश

कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर, . . बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे….!!

कहने को ज़िन्दगी थी

कहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख़्तसर मगर..! कुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गया…!!

मुझसे मिलना है तो

मुझसे मिलना है तो समुन्दर की गहराई में आना होगा… मैं बेजान लाश नहीं जो तैरकर ऊपर आऊ…!!

जो जहर हलाहल है

जो जहर हलाहल है वो ही अमृत है नादान, मालूम नही तुझको अंदाज है पीने के ।।

सर क़लम होंगे

सर क़लम होंगे कल यहाँ उन के जिन के मुँह में ज़बान बाक़ी है |

मुझको तड़पाता ही रहता है

तेरा प्यार मुझको तड़पाता ही रहता है! तेरा ख्वाब मुझको तरसाता ही रहता है! बन चुकी है जिन्द़गी जुल्मों-सितम की यादें, मेरा नसीब मुझको तो रुलाता ही रहता है!

एक उम्र है

एक उम्र है जो तेरे बगैर गुजारनी है., और एक लम्हा है जो तेरे बगैर गुजरता नहीं….

अमल से ज़िंदगी बनती है

अमल से ज़िंदगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है|

सब फ़रेब के आईनें हैं

ये लकीरें, ये नसीब, ये किस्मत सब फ़रेब के आईनें हैं, . ऐ खुदा हाथों में तेरा हाथ होने से ही मुकम्मल ज़िंदगी के मायने हैं.

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