अमल से ज़िंदगी बनती है
जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत
में न नूरी है न नारी है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अमल से ज़िंदगी बनती है
जन्नत भी जहन्नम भी
ये ख़ाकी अपनी फ़ितरत
में न नूरी है न नारी है|