कुछ अधूरे ख्वाब

कुछ अधूरे ख्वाब तेरे संग पूरे करना चाहते है, ज़िंदगी ना सही कुछ पल ही सही, तेरे कंधे पर सर रख अपने दर्द बाँटना चाहते है..!!

घर में अखबार भी

घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है…. जरूरत किसी को नहीं जरूरी फिर भी है…

कैसे कह दूं

कैसे कह दूं की महंगाई बहुत है। मेरे शहर के चौराहे पर आज भी एक रूपये मे कई दुआएँ मिलती है।।

तुम नफरतों के धरने

तुम नफरतों के धरने,क़यामत तक ज़ारी रखो। हम मोहब्बत से इस्तीफ़ा,मरते दम तक नहीं देंगे!!!

गलत सुना था

गलत सुना था कि, इश्क़ आँखों से होता है दिल तो वो भी ले जाते है, जो पलके तक नही उठाते है..।।

बडी बरकत होती हैं

सुना है बडी बरकत होती हैं इश्क में….. हम क्यूँ खाली हाथ लौट आएं तेरे दर से

मोहब्बत मिली तो

मोहब्बत मिली तो नींद भी अपनी न रही ! गुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितना सुकून था !!

मेरे हाथों की

मेरे हाथों की वो सब अंगुलियाँ उस अँगुली से जलती हें, जिसे पकड़कर मेरी बेटी चलती है ।।

वो भी रो देगा

वो भी रो देगा उसे हाल सुनाएँ कैसे ! मोम का घर है चिरागों को जलाएं कैसे ! दूर होता तो उसे ढूंढ लेते ! रूह में छुप के बैठा है उसे पाएं कैसे !!

फिर मैं हँसती हुई

फिर मैं हँसती हुई सुबह उसको लाकर दूँ, वो एक रात मेरी याद में जागकर गुजारे तो सही !!

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