जब रोना आये तो फ़ूट के रो लो, और प्यार आये…तो गले लगा लो, प्यार मे बस यही दो सच है|
Category: गुस्ताखियां शायरी
जिन्हें महसूस इंसानों के
जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो गम नही होते वो इंसा हरगिज़ पत्थरों से कम नही होते|
मिलन के अपनी आँखों में
मिलन के अपनी आँखों में अगर इम्कान महकेंगे। धड़कते दिल में पंकज फिर कई अरमान महकेंगे। मेरी साँसों में घुल जाये तुम्हारी सांस गर आकर। तो साँसों में मुहब्बत के कई तूफ़ान महकेंगे।
हाथ बेशक छूट गया
हाथ बेशक छूट गया,लेकिन वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया…
अब कहां दुआओं
अब कहां दुआओं में वो बरक्कतें,… वो नसीहतें … वो हिदायतें, अब तो बस … जरूरतों का जुलुस हैं … मतलबों के सलाम हैं
मेरे अल्फ़ाज़ भी
मेरे अल्फ़ाज़ भी, नाराज़ है मुझसे, मैं वो लिख भी नहीं पा रहा, जो महसूस कर रहा हूँ|
मैंने पूछा उनसे
मैंने पूछा उनसे, भुला दिया मुझको कैसे चुटकियाँ बजा के वो बोली ऐसे, ऐसे, ऐसे |
खतों से मीलों सफर
खतों से मीलों सफर करते थे जज़्बात कभी अब घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते
वक़्त रुका-सा है
एक घडी तुमने जो मुझे पहनाई थी कभी, तुम तो आगे बढ़ गयी पर उसका वक़्त रुका-सा है !!
ये भ्रम था
ये भ्रम था की सारा बाग़ अपना है …. . पर तूफान के बाद पता चला …. की सूखे पत्तों पे भी हक….बेरहम हवाओ का था|