सिर्फ महसूस किये जाते हैं .. कुछ एहसास कभी लिखे नहीं जाते…
Category: हिंदी
जिंदगी के मंच पर
जिंदगी के मंच पर तू किस तरह निभा अपना किरदार… की परदा गिर भी जाये … तालिया बजती रहे ।
आये हो निभाने जब
आये हो निभाने जब किरदार जमी पर कुछ ऐसा करो कि परदा गिर जाये मगर तालियां फिर भी बजती रहे|
पहले सौ बार
पहले सौ बार इधर और उधर देखा है तब कहीं डर के तुम्हें एक बार देखा है|
खुल जाता है
खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह, और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है !!
आए हो निभाने जब
आए हो निभाने जब क़िरदार ज़मीं पर, कुछ ऐसा कर चलो कि ज़माना मिसाल दे|
उन लोगों को
उन लोगों को दर्द के सिवा और कुछ नहीं मिलता, जो दूसरों से हद से ज्यादा उम्मीद लगा लेते है !!
कुछ अधूरे ख्वाब
कुछ अधूरे ख्वाब तेरे संग पूरे करना चाहते है, ज़िंदगी ना सही कुछ पल ही सही, तेरे कंधे पर सर रख अपने दर्द बाँटना चाहते है..!!
घर में अखबार भी
घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है…. जरूरत किसी को नहीं जरूरी फिर भी है…
कैसे कह दूं
कैसे कह दूं की महंगाई बहुत है। मेरे शहर के चौराहे पर आज भी एक रूपये मे कई दुआएँ मिलती है।।