परिंदे उनकी छत पर बैठे हैं बिन दाने के बिन पानी के हमने तो बड़े चर्चे सुने थे उनकी मेहरबानी के….
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जवाब उसकी आँखों में थे
सारे जवाब उसकी आँखों में थे जो कुछ पूछा था मैंने चिठ्ठी में|
बेखौफ सो जाता था
जो कभी तेरी गोद में सर रख के बेखौफ सो जाता था …. सुनो आज उसे सोने के लिए शराब की जरूरत पड़ती है !!
मर जाते हैं तुम पर
चलो, मर जाते हैं तुम पर..!! बताओ, दफ़न करोगी सीने में..!!
ज़िंदगी अब बोझ लगती है
ज़िंदगी अब बोझ लगती है बुज़ुर्गों की यहाँ, बाप माँ अपने ही घर मेहमान अब होने लगे॥
ज़िन्दगी के पेंच
आज़माइश की मुसलसल चोट से ज़िन्दगी के पेंच ढीले हो गये पीते-पीते सब्र की कड़वी दवा ख़्वाहिशों के जिस्म नीले हो गये|
एक तरफा ही सही
एक तरफा ही सही…प्यार तो प्यार है… उसे हो ना हो…लेकिन मुझे बेशुमार है…!
थोड़ी सी तमीज़
थोड़ी सी तमीज़ मुझे भी फ़रमा मेरे मौला, रंजिश के इस दौर में और भी बेख़ौफ़ होता जा रहा हूँ….
उनके रूखसार पै
उनके रूखसार पै बहते हुए आंसू तौबा, हमने शोलों पै मचलती हुई शबनम देखी |
काली रातों को भी
काली रातों को भी, रंगीन कहा है मैंने; तेरी हर बात पे, आमीन कहा है मैंने!