आप ने तीर चलाया

आप ने तीर चलाया तो कोई बात न थी… ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…

इन जज़्बातों पे लम्हो से

इन जज़्बातों पे लम्हो से सबक क्यूँ नही लेते… पता भी नही चलता उम्र दबे पाँव जाती है…

तुम रख ही ना सकीं

तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर |

बहुत याद आता है

कभी आँसू…. कभी सजदे… कभी हाथों का उठ जाना… मोहब्बत हो जाये तो… खुदा बहुत याद आता है…!!

मरहम लगाने वाला नहीं था

मरहम लगाने वाला नहीं था और जख्म जल्दी भर गये ..

वो हैं के वफ़ाओं में

वो हैं के वफ़ाओं में खता ढूँढ रहे हैं, हम हैं के खताओं में वफ़ा ढूँढ रहे हैं।

जिसके बगैर एक पल भी

जिसके बगैर एक पल भी गुज़ारा नही होता सितम देखिये वही शख्स हमारा नही होता |

खुशियाँ निचोड़ लेते हैं

हमको कमाल हासिल है ग़म से खुशियाँ निचोड़ लेते हैं|

कभी रस्ते ये हम से

कभी रस्ते ये हम से पूछते हैं मुसाफ़िर हो रहे हैं दरबदर क्या |

छूते रहे वो दिल

छूते रहे वो दिल मेरा गज़ल की आग से, जलते रहे हम रातभर शायर की बात से|

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