इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए
Category: शायरी
मेरी गुमशुदगी की
मेरी गुमशुदगी की जब तफ्शीश हुई, मैं बरामद हुआ उनके ख्यालों में…
लहरों की ज़िद पर
लहरों की ज़िद पर क्यों अपनी शक़्ल बदल लेतीं है , दिल जैसा कुछ होता होगा शायद इन चट्टानों में।
ठान लिया था
ठान लिया था कि अब और शायरी नही लिखेंगे पर उनका पल्लू गिरा देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे|
किस्सा बना दिया
किस्सा बना दिया एक झटके में उसने मुझे, जो कल तक मुझे अपना हिस्सा बताता था !!
जिंदा रहने की ख्वाहिश
किसी के अंदर जिंदा रहने की ख्वाहिश में … हम अपने अंदर मर जाते हैं …
आसमां में उड़ने की चाह
आसमां में उड़ने की चाह रखने वाले.. कभी जमी पर गिरने की परवाह नहीं करते !!
अब बहाने नहीं
मुस्कुराने के अब बहाने नहीं ढूढने पड़ते तुम्हें याद करते हैं तमन्ना पुरी हो जाती है|
गुजरूँगा तेरी गली से
गुजरूँगा तेरी गली से अब गधे लेकर क्यों कि तेरे नखरों के बोझ मुझसे अब उठाए नहीं जाते….
आईना साफ किया
आईना साफ किया तो “मैं” नजर आया। “मैं” को साफ किया तो “तू” नजर आया।।