दूरियाँ जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गयी… फिर तुमने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नही|
Category: शायरी
कुछ लोग कहते है
कुछ लोग कहते है की बदल गया हूँ मैं, उनको ये नहीं पता की संभल गया हूँ मैं, उदासी आज भी मेरे चेहरे से झलकती है, पर अब दर्द में भी मुस्कुराना सीख गया हूँ मैं|
तेरी जुल्फों से गुज़र जायें
मेरी उंगलियाँ फिर तेरी जुल्फों से गुज़र जायें , जब तू पलकें झुकाकर फिर मेरी ज़िन्दगी में चली आये…
उसके लबो पे
उसके लबो पे ठहरे मेरा नाम कभी ख्वार की तक़दीर में हो ये इनाम कभी इक जुल्फ में उलझा हुआ नादान दिल रुखसार को हो उसका एहतराम कभी ये निगाहों के समंदर हैं तूफ़ान लिए इस खोई किश्ती को मिले आराम कभी ये दुनिया एक मयखाना हैं और वो साकी इस वास्ते जिन्दा हूँ के… Continue reading उसके लबो पे
बुरा नहीं हूँ
बुरा नहीं हूँ मैं जुदा नहीं हूं मैं तुमसा ही हूँ खुदा नहीं हूँ मैं |
हर एक लकीर
हर एक लकीर, एक तजुर्बा हैं जनाब, झुर्रियां चेहरों पर, यूँ ही आया नहीं करती….!!!
मेरी ख़ामोशी से
मेरी ख़ामोशी से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, और शिकायत में दो लफ्ज़ कह दूँ तो वो चुभ जातें हैं..
मुस्कुराती जेबों में
मुस्कुराती जेबों में अक्सर गीले रूमाल मिलते है, हसरतें छुपाने के हुनर उनमें कमाल मिलते हैं..
सभी को ख़ुश रखने की
कोशिश न कर, तू सभी को ख़ुश रखने की, नाराज तो यहाँ, कुछ लोग… खुदा से भी हैं….!!
वक़्त से पूछ कर
वक़्त से पूछ कर बताना ज़रा ज़ख़्म क्या वाकई भर जाता है ?