खेल रहा हूँ इसी उम्मीद पे मुहब्बत की बाजी.! कि एक दिन जीत लूँगा उन्हें, सब कुछ हार के अपना..!
Category: वक़्त शायरी
गहन शौध मे
गहन शौध मे पाया गया हे कि ”अकड़” शब्द में कोई मात्रा नहीं है, पर ये अलग अलग मात्रा में हर इंसान में ही मौजूद है..!!!
मिठास रिश्तों कि
मिठास रिश्तों कि बढाए तो कोई बात बने, मिठाईयाँ तो हर साल मीठी बनती है…!!
मैं कई दफा चूल्हे
मैं कई दफा चूल्हे के आगे से भूखा उठा हूँ ऐ रोटी … अपना पता बतादे, जहाँ तू बरबाद होती है
सुकून-ऐ-दिल
सुकून-ऐ-दिल के लिए कभी हाल तो पूछ लिया करो… .. मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नही लगते ।
कुछ उम्र की पहली मंज़िल
कुछ उम्र की पहली मंज़िल थी.. … कुछ रस्ते थे अनजान बहुत ।
मुस्कान बेचकर आंसू
मुस्कान बेचकर आंसू खरीद लेते है..! मां बाप कभी मुनाफे का व्यपार नही करते..!!
काला धन वापस
काला धन वापस आने में अभी थोडा वक़्त लगेगा…. अभी तो गलत बाटे गए पुरस्कार वापस आ रहे हैँ..!!
मेरे सात बेठ के
मेरे सात बेठ के टाइम भी रोया एक दिन केहने लगा बन्दा तु सही है मे हि खराब चल रहा हुं….
अवार्ड वापिस करने
अवार्ड वापिस करने वालों की जरा गैस सब्सिडी तो चेक करना वापिस की या नहीं !!