बहुत तकलीफ देता है

बहुत तकलीफ देता है कभी कभी, तेरा ‘हो के’ भी न होना..!!

कितनी दिलकश है

कितनी दिलकश है उसकी ख़ामोशी सारी बातें फ़िज़ूल हों जैसे…

धुंध पड़ने लगी….

चलो अच्छा हुआ कि धुंध पड़ने लगी…. दूर तक तकती थीं निगाहें उनको…

हम मोहब्बत में

हम मोहब्बत में दरख़्तों की तरह है..जहाँ लग जायें वहीं मुद्दतों खड़े रहते हैं!!!

सिर गिरे सजदे में

सिर गिरे सजदे में, दिल में दग़ा-बाज़ी हो.. ऐसे सजदों से भला, कैसे खुदा राज़ी हो!!!

वो बहुत देर तक

वो बहुत देर तक सोचता रहा…उसे शायद… सच बोलना था… !!!

बेशक तुम्हारे बिना

बेशक तुम्हारे बिना जिंदगी काट सकते हैं, लेकिन “जिंदगी जी नहीँ सकते !

सुकून देने के लिए बनते हैं..

कुछ रिश्ते सुकून देने के लिए बनते हैं.. कलम से भी हमारा कुछ ऐसा हीं रिश्ता है!!

वो है जान

वो है जान अब हर एक महफ़िल की हम भी अब घर से कम निकलते हैं..

वह समझते मेरी उल्फत

वह समझते मेरी उल्फत, ये नसीब नहीं थे मेरे मेरी चाहतें तरसती रही, मेरे उजले नसीब को|

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