हमने सोचा था

हमने सोचा था छोटी सी खरोंच होगी बेवफ़ाई कि मेरे दिल में तो बहोत काम रफ़ु का निकला|

ठान लिया था

ठान लिया था कि अब और शायरी नही लिखेंगे पर उनका पल्लू गिरा देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे..!!

चूड़ी के टुकड़े थे

चूड़ी के टुकड़े थे,पैर में चुभते ही खूँ बह निकला नंगे पाँव खेल रहा था,लड़का अपने आँगन में बाप ने कल दारू पी के माँ की बाँह मरोड़ी थी!

सामने आये मेरे

सामने आये मेरे,देखा मुझे,बात भी की मुस्कराए भी,पुरानी किसी पहचान की ख़ातिर कल का अख़बार था,बस देख लिया,रख भी दिया।

कलम रूठ के टूट ही न जाए

कलम रूठ के टूट ही न जाए, आज मुझसे………..!! अपनी बेबसी का जोर, इस्पे निकल रहा हूँ मैं…….!!

एक जीत है तू

एक जीत है तू… एक हार हूँ मैं बिना तेरे किसी कहानी का अधूरा किरदार हूँ मैं ।

घर-बार बांटने की बातें

घर-बार बांटने की बातें सुन , कितना लड़खड़ाया वो इंसान । अखबार तक जो पुराने संभाल कर रखता है ।

कुछ ख़तरा नहीं है !

यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है.. चलो अच्छा है कुछ ख़तरा नहीं है !!

वाह मेरे महबूब

वाह मेरे महबूब बड़ी जल्दी ख्याल आया मेरा.. बस भी करो चूमना.. अब उठने भी दो जनाज़ा मेरा..

एक जैसी ही

एक जैसी ही दिखती थी.. माचिस की वो तीलियाँ.. कुछ ने दिये जलाये.. और कुछ ने घर..!

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