क्या बताऊँ जब

क्या बताऊँ  जब वो उफ़ कहा करती है कसम से उम्र जिंदगी की बढ़ जाती है |

तूने मेरी मोहब्बत की

तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..! तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम “अपनी” नज़रे झुका लेते थे..!

एक दरवाजा क्या खुला

एक दरवाजा क्या खुला मुझमे फिर तो हर कोई आ बसा मुझमे |

हजारों शेर मेरे सो गये

हजारों शेर मेरे सो गये कागज की कब्रों में अजब पिता हूँ कोई बच्चा मेरा ज़िन्दा नहीं रहता|

नींद आँखों में लिये

नींद आँखों में लिये, सुस्त पड़ी है कागज पर, थकान लफ्ज़ों की मेरे, उतरी नहीं अब तक…

कमाल का ताना मारा है

कमाल का ताना मारा है आज जिन्दगी ने की, अगर कोई तेरा है तो वो तेरे पास क्यूँ नहीं है !!

मेरी ख़्वाहिश है

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ… माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ..

मेरे हाथों को मालूम है

मेरे हाथों को मालूम है तुम्हारे गिरेबानों का पता, चाहूं तो पकड़ लूं पर मजा आता है माफ करने में ।

तुम्हारे ख्यालों में गुमसुम

तुम्हारी बात तुम्हारे ख्यालों में  गुमसुम !! सभी ने देख लिया मुझको मुस्कुराते हुए !!

तुम नहीं आओगी

तुम नहीं आओगी कभी यह जानता हूँ , फिर भी दरवाजे पर हर दस्तक मुझे अपनी सी लगती है |

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