मन्दिर तीरथ भटक-भटक कर वृद्ध हो गये छैल। ?चरण पादुका घिस गई घिसा न मन का मैल।
Category: दर्द शायरी
यूँ तो मझे झूठ
यूँ तो मझे झूठ से सख्त नफरत है लेकिन अच्छा लगता है जब वो मुझे अपना कहता है
गिरती हुई बारिश
गिरती हुई बारिश के बूंदों को अपने हाथों से समेट लो, जितना पानी तुम समेट पाए, उतना याद तुम हमें करते हो, जितना पानी तुम समेट ना पाई, उतना याद हम तुम्हे करते हैं।
स्वर्ग में सब कुछ है
स्वर्ग में सब कुछ है लेकिन मौत नहीं है, गीता में सब कुछ है लेकिन झूठ नहीं है, दुनिया में सब कुछ है लेकिन किसी को सुकून नहीं है, और आज के इंसान मे सब कुछ है लेकिन सब्र नहीं…………..,किसी ने क्या खूब कहा ना खुशी खरीद पाता हू ना ही गम बेच पाता हू… Continue reading स्वर्ग में सब कुछ है
ना ढूंढ मेरा किरदार
ना ढूंढ मेरा किरदार दुनिया के हुजूम में, “वफ़ादार तो हमेशा तनहा ही मिलते हे….
मिलाते हो उसी को खाक में
मिलाते हो उसी को खाक में, जो दिल से मिलता है मेरी जां चाहने वाला, बड़ी मुश्किल से मिलता है Milaate ho usi ko khaak mein, jo dil se milata hai Meri jaan chaahane wala, badi mushkil se milta hai
डूबा हो जब अन्धेरे में
डूबा हो जब अन्धेरे में हम साए का मकान अपने मकां में शमा जलाना गुनाह है
एक रूपया एक लाख नहीं होता
एक रूपया एक लाख नहीं होता , मगर फिर भी एक रूपया एक लाख से निकल जाये तो वो लाख भी लाख नहीं रहता हम आपके लाखों दोस्तों में बस वही एक रूपया हैं … संभाल के रखनT , बाकी सब मोह माया है
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं
लकीरें भी बड़ी अजीब होती हैं—— माथे पर खिंच जाएँ तो किस्मत बना देती हैं जमीन पर खिंच जाएँ तो सरहदें बना देती हैं खाल पर खिंच जाएँ तो खून ही निकाल देती हैं और रिश्तों पर खिंच जाएँ तो दीवार बना देती हैं..
बस के कंडक्टर सी
बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी । सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नहीं।…..