शब्द तो शोर है

शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के सिन्धु में बताशा है…
मर्म की बात होंठ से न कहो …
मौन ही भावना की भाषा है

2 comments
  1. प्यारे, ये नीरज की रचना है और “भाव के बिंदु का बिपाशा है..मरहम की बात होठो से ना करो…मोन ही तो प्रेम की परिभाषा” नहीं, “भाव के सिन्धु में बताशा है…मर्म की बात होंठ से न कहो …मौन ही भावना की भाषा है” है. बिपाशा के साथ आप कुछ भी करो, नीरज के साथ ऐसा मत करो.

    1. प्रिय वर्मा जी, आपके इतने अच्छे गहन निरिक्षण से प्यारी शायरी टीम प्रभावित हैं, हम आपके कहे अनुसार परिवर्तन कर रहे है, चुकी हमें यह शायरीयां किसी विश्वसनीय स्त्रोतों से नहीं मिलती है इसीलिए न तो हम उनके लेखक और न ही उनकी रचना पूरी तरह से पोस्ट के पाते हैं उसका हमें खेद हैं | अगर आप जैसे लोग हमें उचित मार्गदर्शन प्रदान करते रहे तो हम प्यारी शायरी को एक अलग आयाम पर पंहुचा सकते हैं.. आपके सूक्ष्म अवलोकन के लिए आपका बहुत बहुत आभार.. धन्यवाद |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *