जब दूरियाँ आ जाएँ दरमियाँ इस कदर
कि पलट कर देखना भी न मुमकिन हो
तब समझ लेना कि खत्म सब हो गया
जब रुखसते देना भी न मुमकिन हो …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जब दूरियाँ आ जाएँ दरमियाँ इस कदर
कि पलट कर देखना भी न मुमकिन हो
तब समझ लेना कि खत्म सब हो गया
जब रुखसते देना भी न मुमकिन हो …