लफ़्ज़ों पे वज़न

लफ़्ज़ों पे वज़न रखने से नहीं झुकते मोहब्बत के पलड़े साहिब

हलके से इशारे पे ही,

ज़िंदगियां क़ुर्बान हो जाती हैं

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