होंठो पे अपने यूँ ना रखा करो
तुम नादान कलम को,
वरना नज़्म फिर नशीली होकर
लड़खड़ाती रहेगी।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
होंठो पे अपने यूँ ना रखा करो
तुम नादान कलम को,
वरना नज़्म फिर नशीली होकर
लड़खड़ाती रहेगी।