बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई, कल शाम मेरे शहर से आंधी ।
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं, जिनमे हुनर था थोडा झुक जाने का ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई, कल शाम मेरे शहर से आंधी ।
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं, जिनमे हुनर था थोडा झुक जाने का ।