इस कब्र में भी सुकूं की नींद नसीब नही हुई गालिब…
रोज फरिश्ते आकर कहते है आज कौई नया शेर सुनाओ|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इस कब्र में भी सुकूं की नींद नसीब नही हुई गालिब…
रोज फरिश्ते आकर कहते है आज कौई नया शेर सुनाओ|