रो रो कर ये पुछा,
मुझसे मेरे पैर के छालोँ ने..!!
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बस्ती कितनी दुर बसा ली,
दिल मेँ बसने वालोँ ने..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रो रो कर ये पुछा,
मुझसे मेरे पैर के छालोँ ने..!!
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बस्ती कितनी दुर बसा ली,
दिल मेँ बसने वालोँ ने..!