क्यूँ पूछते हो सुबह को, मेरी सुर्ख आँखों का सबब…
ग़र इतनी ही फिक्र है, तो सुलाने क्यूँ नहीं आते!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
क्यूँ पूछते हो सुबह को, मेरी सुर्ख आँखों का सबब…
ग़र इतनी ही फिक्र है, तो सुलाने क्यूँ नहीं आते!!