मुहब्बत की जुबान
यहां तक आये हो कुछ ज़ुबान से कह दो
लफ्ज़ मुहब्बत नहीं कह सकते सलाम तो कह दो
पलकें तो उठाओ अपनी इतनी भी हया कैसी
ज़ुबान से नहीं कुछ कहते निगाह से ही कह दो
दिल को यकीन आये कहदो आप हमारे हो
अपने लिखे खतों का जवाब साथ लाए हो|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुहब्बत की जुबान
यहां तक आये हो कुछ ज़ुबान से कह दो
लफ्ज़ मुहब्बत नहीं कह सकते सलाम तो कह दो
पलकें तो उठाओ अपनी इतनी भी हया कैसी
ज़ुबान से नहीं कुछ कहते निगाह से ही कह दो
दिल को यकीन आये कहदो आप हमारे हो
अपने लिखे खतों का जवाब साथ लाए हो|