by pyarishayri - Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Shayari, Shayri, Urdu Shayri, प्यार, प्यार शायरी, प्यारी शायरी, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, शायरी, हिंदी, हिंदी शायरी - August 27, 2016 नींद तो अब भी बहुत नींद तो अब भी बहुत आती है मगर… समझा बुझा के मुझे उठा देती हैं ज़िम्मेदारियां…!