डरते है कही

डरते है कही तुम भुला न दो
नज़र से अशक की तरह बहा न दो
इक बार निग़ाहे उठा कर देख तो लो
मेरी मुहब्बत का चाहे सिला न दो।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version