हर “इंसान” अपनी
“जुबां” के “पीछे” “छुपा” हुआ है
अगर उसे “समझना” है तो
उसे “बोलने” दो!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हर “इंसान” अपनी
“जुबां” के “पीछे” “छुपा” हुआ है
अगर उसे “समझना” है तो
उसे “बोलने” दो!