मेरी आवारगी में कुछ
क़सूर अब तुम्हारा भी है,
जब तुम्हारी याद आती है
तो घर अच्छा नहीं लगता।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी आवारगी में कुछ
क़सूर अब तुम्हारा भी है,
जब तुम्हारी याद आती है
तो घर अच्छा नहीं लगता।