घर-बार बांटने की बातें सुन ,
कितना लड़खड़ाया वो इंसान ।
अखबार तक जो पुराने संभाल कर रखता है ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
घर-बार बांटने की बातें सुन ,
कितना लड़खड़ाया वो इंसान ।
अखबार तक जो पुराने संभाल कर रखता है ।