अब अँधेरों में जो हम ख़ौफ़-ज़दा बैठे है..
क्या कहें ख़ुद ही चराग़ों को बुझा बैठे है.!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अब अँधेरों में जो हम ख़ौफ़-ज़दा बैठे है..
क्या कहें ख़ुद ही चराग़ों को बुझा बैठे है.!