उनकी फितरत परिंदों सी थी,मेरा मिज़ाज दरख़्तों जैसा,
उन्हें उड़ जाना था…..और मुझे कायम ही रहना था !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उनकी फितरत परिंदों सी थी,मेरा मिज़ाज दरख़्तों जैसा,
उन्हें उड़ जाना था…..और मुझे कायम ही रहना था !!