by pyarishayri - Hindi, Hindi Shayri, Hindi Shayris, Shayari, Shayri, Urdu Shayri, Whatsapp Shayri, वक़्त शायरी, वक्त-शायरी, व्यंग्य शायरी, व्हाट्सप्प स्टेटस, शर्म शायरी, शायरी, हिंदी शायरी - October 4, 2016 इंसानियत में बसता हूँ मैं इंसानियत में बसता हूँ….और लोग मुझे मज़हबों में ढूँढते है..!