मुस्कान को
महफ़िल चाहिये
औऱ
आँसू ढूंढते हैँ तन्हाई..
दुनिया के बाज़ार में
सब को
वफ़ा चाहिये..
नहीँ चाहता है कोई वेबफाई..
चले थे
सकूँ ढूँढने
उल्टा चैन भी खो बैठे हैँ..
कभी सोया करते थे
जो बेफ़िक्र होकर …
इश्क़ मेँ क्या डूबे
अब आँखों से नींद को भी धो बैठे हैँ..