ख़्वाबों की पुट्टी से ख्वाहिशों की दीवार संवारता हूँ
रोज़ ही ज़रुरतें सीलन बनकर उधेड़ देतीं हैं उन्हें|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ख़्वाबों की पुट्टी से ख्वाहिशों की दीवार संवारता हूँ
रोज़ ही ज़रुरतें सीलन बनकर उधेड़ देतीं हैं उन्हें|