वाह रे दोगले समाज

वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं… पैसे वाले की बेटी.. रात के आठ बजे कही जाए.. तो “चलन” है…! गरीब की बेटी… अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए.. तो “बदचलन” है..!!

दुनियाँ की हर चीज ठोकर

दुनियाँ की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाया करती है दोस्तो… एक ” कामयाबी ही है जो ठोकर खा के ही मिलती है …!!

जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया

जिस जिस को मिली खबर सबने एक ही सवाल किया… तुमने क्यों की मुहब्बत तुम तो समझदार थे…

अभी सूरज नही डुबा जरा सी शाम होने दो

अभी सूरज नही डुबा जरा सी शाम होने दो मैँ खुद लौट जाऊँगा मुझे नाकाम तो होने दो मुझे बदनाम करने का बहाना ढुँढता है जमाना मैँ खुद हो जाऊँगा बदनाम पहले नाम तो होने दो

मत सोच इतना

मत सोच इतना…. जिन्दगी के बारे में , जिसने जिन्दगी दी है… उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!!

सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का

सस्ता सा कोई इलाज़ बता दो इस मोह्ब्बत का ..! “एक गरीब इश्क़ कर बैठा है इस महंगाई के दौर मैं”

धनवान वह नहीं

धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों से भरी हो ॥ धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से भरी हो ॥

कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की

कर्मो से ही पहेचान होती है इंसानो की… महेंगे ‘कपडे’ तो,’पुतले’ भी पहनते है दुकानों में !!..

जिंदगी समझ बैठे

जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब, हम नादान थे … एक शाम की मुलाकात को .. जिंदगी समझ बैठे ..

किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही

किसको बताएं कब से हम ज़िन्दगी के राही फूलों की आरज़ू में काँटों पे चल रहे हैं

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