मेरी तलाश का जुर्म है

मेरी तलाश का जुर्म है या मेरी वफ़ा का कसूर…!! जो भी दिल के करीब आया वही “बेवफ़ा” निकला…!!

चलो ये ज़िन्दगी अब

चलो ये ज़िन्दगी अब तुम्हारे नाम करते हैं…!! सुना है बेवफ़ा की बेवफ़ा से खूब बनती है…!!

कभी मतलब के लिए

कभी मतलब के लिए तो कभी दिल्लगी के लिए…!! हर कोई मोहब्बत ढूंढ रहा है यहाँ अपनी ज़िन्दगी के लिए…!!

उतने तो लम्हे भी

उतने तो लम्हे भी नहीं बिताए मैंने संग तेरे, जितनी रातों की नींद ले गए हो तुम छीन के|

तुमने तो फिर भी

तुमने तो फिर भी सीख लिया नसीहतें देना.. हम कुछ न कर सके, मोहब्बत के सिवा.. !!

किफायती दाम पर

किफायती दाम पर मिला था इश्क….. मुफ्त में खो दिया…. दुनिया के डर से!!!

आसमां की बुलंदी से

तुम आसमां की बुलंदी से जल्द लौट आना… मुझे जमीन की हकीकत पे बात करनी है तुमसे|

कभी आ पलट कर

कभी आ पलट कर उस मोड़ पर तू भी.. जिस मोड़ पर अकेला छोड़ा था मुझको..

ज़िंदगी मुख्तसर ही मिली थी

ज़िंदगी मुख्तसर ही मिली थी हमे, हम ही हसरते बेशुमार कर बैठे..

तुम आसमां की बुलंदी से

तुम आसमां की बुलंदी से जल्द लौट आना… मुझे जमीन की हकीकत पे बात करनी है तुमसे|

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