तुम लिखते रहे मेरे आसुओ से गजल

तुम लिखते रहे मेरे आसुओ से गजल… अफसोस… तुम ने इतना भी ना पुछा की रोते क्यु हो..

कहीं तो वो लिखती होगी

कहीं तो वो लिखती होगी अपनी दिल की छुपी हुई बातें, कहीं तो बे- शुमार लफ्जों मे मेरा नाम भी होगा……

यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी

यह मेरा इश्क़ था या फिर दीवानगी की इन्तहां.! कि तेरे ही क़रीब से गुज़र गए तेरे ही ख़्याल में.

बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में

“बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में…… तू परखता रहा…… और हमने ज़िंदगी यकीन में गुजार दी…!”

ये झूठ है…

ये झूठ है… के मुहब्बत किसी का दिल तोड़ती है , लोग खुद ही टुट जाते है,,, मुहब्बत करते-करते…..

दर्द

?” दर्द “? सभी इंसानो मे है मगर … कोई दिखाता है तो … कोई छुपाता है …..

हमसफर

?” हमसफर “? सभी है मगर … कोई साथ देता है तो … कोई छोड देता है …..

बेवजह मिलना ए दोस्त

कभी मिल सको तो पंछीयो की तरह बेवजह मिलना ए दोस्त, वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज कितने मिलते है ।

प्यार सभी करते है मगर

?” प्यार “? सभी करते है मगर … कोई दिल से करता है तो … कोई दिमाग सें करता है

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