कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता…
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें…
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…