कुछ तहखानों में

कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता
यकीन न आये तो चले आओ मुझमें….
मेरे शब्दों का पीछा करते हुए …..
मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है|

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