वह कितना मेहरबान था, कि हज़ारों गम दे गया…
हम कितने खुदगर्ज़ निकले, कुछ ना दे सके उसे प्यार के सिवा।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वह कितना मेहरबान था, कि हज़ारों गम दे गया…
हम कितने खुदगर्ज़ निकले, कुछ ना दे सके उसे प्यार के सिवा।