मेरी एक ज़िन्दगी के,कितने हिस्सेदार हैं लेकिन,
किसी की ज़िन्दग़ी में,मेरा हिस्सा क्यों नहीं होता,
किसी दिन ज़िन्दगानी में,करिश्मा क्यों नहीं होता,
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ,ज़िन्दा क्यों नहीं होता |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मेरी एक ज़िन्दगी के,कितने हिस्सेदार हैं लेकिन,
किसी की ज़िन्दग़ी में,मेरा हिस्सा क्यों नहीं होता,
किसी दिन ज़िन्दगानी में,करिश्मा क्यों नहीं होता,
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ,ज़िन्दा क्यों नहीं होता |